लंगड़ी खेल की जानकारी लंगड़ी कैसे खेले ?
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आपने सभी ने (ज्यादा तर सभीने) अपने बचपन में खो-खो, कब्बडी के आलावा एक और खेल के बारे में सुना होगा यानि “लंगड़ी” के बारे में।
खेल काफी आसान हे की सामने वाली टीम के खिलाडी को आपको एक तंग पर रह कर पकड़ना होता है।
ये मेरे पसंदीदा खेलोमे से एक है क्युकी बाकि खेलोसे में इसमें अच्छा था 😅
लेकिन काफी सरे लोग इस खले को भूल चुके है तो में याद दिलाने आया हु।
लंगड़ी महाराष्ट्र का एक काफी लोकप्रिय खेल था सिर्फ बच्चो में ही नहीं बल्कि इसकी खेल स्पर्धा में बड़े भी खेला करते थे।
यह खेल देश के अलग-अलग जगहों पर अलग नाम से जाना जाता है। जैसे :
उत्तर की तरफ इसे कुकुराजु (kukurazu), गमोसा (Gamosa)
पंजाब और दिल्ली में लंगड़ा शेर (Langda Sher) और लंगड़ी टांग (Langdi Tang) कहा जाता है।
पूरब की तरफ इससे छूटा गुंडो (Chuta Gudo) कहा जाता है।
लंगड़ी का खेल, image source – quora
लंगड़ी कैसे खेले ?
खेल काफी आसान है। की एक टीम के खिलाडी एक बॉक्स के अंदर भागेंगे और दूसरी टीम का खिलाडी उन्हें एक तंग पर कूदते हूजे पकड़नेकी कोशिश करेगा।
लेकिन कुछ भी कहो साँसे फूलने तक भागना और एक टांग पर कूद कर अंत तक ठीके रेहनेका मजा ही अलग था।
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लंगड़ी के नियम क्या है
१. हर टीम में कुल १२ खिलाडी होते है और ३ खिलाडी अतिरिक्त होते है।
२. जो टीम टॉस जीती है उस टीम के खिलाडी भागते है और दुरी टीम खिलाडी उन्हें पकड़ने की कोशिश करते है।
३. पकड़ने वाली टीम के खिलाडी को एक तंग पर कूद कर दूसरे टीम के खिलाडी को पकड़ना होता है।
४. अगर वो अपना दूसरा पाव जमीन पर रख दे तो वह बहार हो जायेगा।
५. दौड़ने वाले खिलाडी ग्राउंड के सिमा से बहार नहीं जा सकते वार्ना वह आउट हो जायेंगे।
६. १५ मं के दो राउंड्स में जो टीम सबसे ज्यादा पॉइंट्स बनेगे वह जीत जाएगी।
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लंगड़ी खेल पर मेरे विचार (My Thoughts)
लंगड़ी काफी लोग अभी खेलते हुए दीखते है और इसके कई सरे टूर्नामेंट्स भी हुए है।
लेकिन असली मजा तो अपनी स्कूल में अत था क्युकी बाकि खेलो ये काफी अच्छा खेलता था।
ये खेल में जो मजा भने और पकड़ ने में हे उससे कभी खो खो की भी याद अति है। या मनो ये हमरे पकड़ा-पकड़ी का थोड़ा मुश्किल रूप हो।
बाकि जो भी हो खेल में मजा बड़ा अत है। तो अगर आपने भी कभी ये खेला हो तो निचे कमेंट जरूर करे और अपना कोई किस्सा या कोई सुझाव देना हो तो भी कमैंट्स में लिख देना।
तो आज केलिए बस इतना ही में मिलता हु फिर के साथ तब तक के लिए…
—धन्यवाद—